97|1|हमने इसे क़द्र की रात में अवतरित किया
97|2|और तुम्हें क्या मालूम कि क़द्र की रात क्या है?
97|3|क़द्र की रात उत्तम है हज़ार महीनों से,
97|4|उसमें फ़रिश्तें और रूह हर महत्वपूर्ण मामलें में अपने रब की अनुमति से उतरते है
97|5|वह रात पूर्णतः शान्ति और सलामती है, उषाकाल के उदय होने तक
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