Hindi Quran | कुरान पढ़ो

79|1|गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके,
79|2|और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,
79|3|और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें,
79|4|फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,
79|5|और मामले की तदबीर करें
79|6|जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,
79|7|उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
79|8|कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
79|9|उनकी निगाहें झुकी होंगी
79|10|वे कहते है, “क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे?
79|11|क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?”
79|12|वे कहते है, “तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।”
79|13|वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
79|14|फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
79|15|क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?
79|16|जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी ‘तुवा’ में उसे पुकारा था
79|17|कि “फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है
79|18|”और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले,
79|19|”और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?”
79|20|फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई,
79|21|किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना,
79|22|फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा,
79|23|फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा,
79|24|”मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ!”
79|25|अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया
79|26|निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे!
79|27|क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया,
79|28|उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;
79|29|और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया
79|30|और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया;
79|31|उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला
79|32|और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया,
79|33|तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में
79|34|फिर जब वह महाविपदा आएगी,
79|35|उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा
79|36|और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी
79|37|तो जिस किसी ने सरकशी की
79|38|और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी,
79|39|तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है
79|40|और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका,
79|41|तो जन्नत ही उसका ठिकाना है
79|42|वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी?
79|43|उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध?
79|44|उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है
79|45|तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे
79|46|जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है

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