95|1|साक्षी है तीन और ज़ैतून
95|2|और तूर सीनीन,
95|3|और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का)
95|4|निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया
95|5|फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना
95|6|सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है
95|7|अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए?
95|8|क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं?
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