101|1|वह खड़खड़ानेवाली!
101|2|क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
101|3|और तुम्हें क्या मालूम कि क्या है वह खड़खड़ानेवाली?
101|4|जिस दिन लोग बिखरे हुए पतंगों के सदृश हो जाएँगें,
101|5|और पहाड़ के धुन के हुए रंग-बिरंग के ऊन जैसे हो जाएँगे
101|6|फिर जिस किसी के वज़न भारी होंगे,
101|7|वह मनभाते जीवन में रहेगा
101|8|और रहा वह व्यक्ति जिसके वज़न हलके होंगे,
101|9|उसकी माँ होगी गहरा खड्ड
101|10|और तुम्हें क्या मालूम कि वह क्या है?
101|11|आग है दहकती हुई
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