80|1|उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह फेर लिया,
80|2|इस कारण कि उसके पास अन्धा आ गया।
80|3|और तुझे क्या मालूम शायद वह स्वयं को सँवारता-निखारता हो
80|4|या नसीहत हासिल करता हो तो नसीहत उसके लिए लाभदायक हो?
80|5|रहा वह व्यक्ति जो धनी हो गया ह
80|6|तू उसके पीछे पड़ा है –
80|7|हालाँकि वह अपने को न निखारे तो तुझपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं आती –
80|8|और रहा वह व्यक्ति जो स्वयं ही तेरे पास दौड़ता हुआ आया,
80|9|और वह डरता भी है,
80|10|तो तू उससे बेपरवाई करता है
80|11|कदापि नहीं, वे (आयतें) तो महत्वपूर्ण नसीहत है –
80|12|तो जो चाहे उसे याद कर ले –
80|13|पवित्र पन्नों में अंकित है,
80|14|प्रतिष्ठि्त, उच्च,
80|15|ऐसे कातिबों के हाथों में रहा करते है
80|16|जो प्रतिष्ठित और नेक है
80|17|विनष्ट हुआ मनुष्य! कैसा अकृतज्ञ है!
80|18|उसको किस चीज़ से पैदा किया?
80|19|तनिक-सी बूँद से उसको पैदा किया, तो उसके लिए एक अंदाजा ठहराया,
80|20|फिर मार्ग को देखो, उसे सुगम कर दिया,
80|21|फिर उसे मृत्यु दी और क्रब में उसे रखवाया,
80|22|फिर जब चाहेगा उसे (जीवित करके) उठा खड़ा करेगा। –
80|23|कदापि नहीं, उसने उसको पूरा नहीं किया जिसका आदेश अल्लाह ने उसे दिया है
80|24|अतः मनुष्य को चाहिए कि अपने भोजन को देखे,
80|25|कि हमने ख़ूब पानी बरसाया,
80|26|फिर धरती को विशेष रूप से फाड़ा,
80|27|फिर हमने उसमें उगाए अनाज,
80|28|और अंगूर और तरकारी,
80|29|और ज़ैतून और खजूर,
80|30|और घने बाग़,
80|31|और मेवे और घास-चारा,
80|32|तुम्हारे लिए और तुम्हारे चौपायों के लिेए जीवन-सामग्री के रूप में
80|33|फिर जब वह बहरा कर देनेवाली प्रचंड आवाज़ आएगी,
80|34|जिस दिन आदमी भागेगा अपने भाई से,
80|35|और अपनी माँ और अपने बाप से,
80|36|और अपनी पत्नी और अपने बेटों से
80|37|उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन ऐसी पड़ी होगी जो उसे दूसरों से बेपरवाह कर देगी
80|38|कितने ही चेहरे उस दिन रौशन होंगे,
80|39|हँसते, प्रफुल्लित
80|40|और कितने ही चेहरे होंगे जिनपर उस दिन धूल पड़ी होगी,
80|41|उनपर कलौंस छा रही होगी
80|42|वहीं होंगे इनकार करनेवाले दुराचारी लोग!
Hindi Quran | कुरान पढ़ो
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