Hindi Quran | कुरान पढ़ो

113|1|कहो, “मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की,
113|2|जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से,
113|3|और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए,
113|4|और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से,
113|5|और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।”

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