102|1|तुम्हें एक-दूसरे के मुक़ाबले में बहुतायत के प्रदर्शन और घमंड ने ग़फ़़लत में डाल रखा है,
102|2|यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तानों में पहुँच गए
102|3|कुछ नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे
102|4|फिर, कुछ नहीं, तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा –
102|5|कुछ नहीं, अगर तुम विश्वसनीय ज्ञान के रूप में जान लो! (तो तुम धन-दौलत के पुजारी न बनो) –
102|6|अवश्य ही तुम भड़कती आग से दो-चार होगे
102|7|फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा
102|8|फिर निश्चय ही उस दिन तुमसे नेमतों के बारे में पूछा जाएगा
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