93|1|साक्षी है चढ़ता दिन,
93|2|और रात जबकि उसका सन्नाटा छा जाए
93|3|तुम्हारे रब ने तुम्हें न तो विदा किया और न वह बेज़ार (अप्रसन्न) हुआ
93|4|और निश्चय ही बाद में आनेवाली (अवधि) तुम्हारे लिए पहलेवाली से उत्तम है
93|5|और शीघ्र ही तुम्हारा रब तुम्हें प्रदान करेगा कि तुम प्रसन्न हो जाओगे
93|6|क्या ऐसा नहीं कि उसने तुम्हें अनाथ पाया तो ठिकाना दिया?
93|7|और तुम्हें मार्ग से अपरिचित पाया तो मार्ग दिखाया?
93|8|और तुम्हें निर्धन पाया तो समृद्ध कर दिया?
93|9|अतः जो अनाथ हो उसे मत दबाना,
93|10|और जो माँगता हो उसे न झिझकना,
93|11|और जो तुम्हें रब की अनुकम्पा है, उसे बयान करते रहो
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